लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शनिवार, 27 अक्तूबर 2012

जीवन अपना हैं?

जीवन अपना हैं?
हर एक मैं हैं जीने की अभिलाषा ,पर क्या कोई जानता हैं जीवन की परिभाषा ,
जीवन एक एसी पहेली हैं , जेसे ट्रेन मैं मिली कोई सहेली हैं ,
जाने कब उसका मुकाम आजाय जाने कब साथ छोड़ चली जाय,
जीवन जीवो का वो सुखद वन हैं जेसे कुंबले की बाल पर लारा का रन हैं
कभी खुशिया कभी गम हैं सच मैं जीवन बहुत सघन हैं 
यु कहा जाय तो जीवन एक सुखद सपना हैं 
जिसमे तो सारा जहा अपना हैं ,
पर आँख खोलने पर हाथ कुछ नहीं लगना  हैं 
बस खाली हाथ मुह तकना हैं ,
ये सही हैं की जीवन एक सुखद सपना हैं 
ये गलत हैं की वो अपना हैं
शोभा चौहान