लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

रविवार, 4 नवंबर 2012

कमल का संग कीचड़ से ........


कमल का संग कीचड़ से 
गुलाब का संग काँटों से
                        कुछ यू हो गया की 
निर्बल का बल बलवान से 
इन्सान पर छल हेवान का 
                        कुछ यू हो गया की 
आशा का संग निराशा से 
उजाले का संग अंधकार से 
                      इसलिए हो गया की 
अच्छाई और बुराई मैं अंतर हो जाये 
अच्छाई छाई रहे और बुराई राइ हो जाय
                      कुछ यू हो जाय 
आरजू पूरी हो पहले चाहो से
हर बाधा हट जाय पहले रहो से ........
                                       शोभा चौहान ..........