भीष्म सी प्रतिज्ञा
धृतराष्ट्र जैसा मोह
दुर्योधन सा हठ
द्रोण जैसा छल
शकुनि जैसी चाल
अर्जुन जैसी ज़िद्द
भीम जैसी जुँग
युधिष्ठर सा धर्म
द्रौपदी जैसा उपहास
कर्ण सी मित्रता
बर्बरीक सी भक्ति
धृतराष्ट्र जैसा मोह
दुर्योधन सा हठ
द्रोण जैसा छल
शकुनि जैसी चाल
अर्जुन जैसी ज़िद्द
भीम जैसी जुँग
युधिष्ठर सा धर्म
द्रौपदी जैसा उपहास
कर्ण सी मित्रता
बर्बरीक सी भक्ति
इस दिमाग़ में क्या क्या चलता रहता है
ऐसा क्या है जो मन को बाँधे रहता है
ऐसा क्या है जो मन को बाँधे रहता है