माँ
माँ शब्द मैं छिपा हैं स्रष्टि का सारा सार
माँ मैं छिपा हैं जीवन का सारा प्यार
माँ से सुंदर नहीं दुनिया की कोई कृति
चाँद सूरज नदी हवाए माँ के अंदर बसी
माँ के दूध मैं अमृत सा जीवन मिलता हैं
माँ सीने से लगा ले तो सुकून मिलता हैं
दुःख दर्द भूख प्यास आंसू का आभास हैं
दुनिया मैं सबसे सच्चा माँ का विश्वास हैं
माँ की कोई उपमा नहीं होती
आंसू मेरे गिरते ,और माँ रोती
माँ वो एहसास जो समय के साथ गहराता हैं
गलती के परिणामो पर माँ का हर लव्स याद आता हैं
माँ संवेदना माँ भावना माँ कल्पना माँ मैं सब अपना
माँ मैं पलता हैं जीवन का हर सपना
माँ तू दर्द में मुझे सहला देती कराह सुन पसीना पोछ देती
सपनो को पंख देती होसलो को ऊँचा कर देती
माँ तेरा वो सुकून देता स्पर्श, कोमल व्यक्तित्व
तेरी लोरी और थप थपि याद दिलाती मेरा अतीत
माँ तुझसे अटूट न रिश्ता दूजा
माँ तू जेसे भगवान की पूजा
दूध का कर्ज कलम बया नहीं कर पायेगी
बंद पलकों मैं सिर्फ तू ही सहलाएगी
एक मैं हूँ जिसे माँ की चिंता नहीं रहती
एक माँ हैं जिसे मेरे सिवा किसी की चिंता न रहती
भूली नहीं हूँ अपनी इस गलती के अहसास को
भुला दिया माँ की सिखाई हर बात को
माँ एक तू हैं जो हर बार गलतिया माफ़ कर देती हैं
न सवाल पूछती हैं, जवाब खुद आप कर देती हैं
मेरी गलतिया जो माफ़ी के काबिल नहीं
मेरी गलतिया जिनका कोई साहिल नहीं
माँ मेरे प्रायश्चित का नहीं कोई छोर
माँ तुझसे सच्चा रिश्ता नहीं कोई और
शोभा चौहान 16/दिसम्बर 2012
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