लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

रविवार, 16 दिसंबर 2012

माँ

माँ
माँ शब्द मैं छिपा हैं स्रष्टि का सारा सार 
माँ मैं छिपा हैं जीवन का सारा प्यार 
माँ से सुंदर नहीं दुनिया की कोई कृति 
चाँद सूरज नदी हवाए माँ के अंदर बसी 
माँ के दूध मैं अमृत सा जीवन मिलता हैं 
माँ सीने से लगा ले तो सुकून मिलता हैं 
दुःख दर्द भूख प्यास आंसू का आभास हैं 
दुनिया मैं सबसे सच्चा माँ का विश्वास हैं 
माँ की कोई उपमा नहीं होती 
आंसू मेरे गिरते ,और माँ रोती 
माँ वो एहसास जो समय के साथ गहराता हैं 
गलती के परिणामो पर माँ का हर लव्स याद आता हैं 
माँ संवेदना माँ भावना माँ कल्पना माँ मैं सब अपना 
माँ मैं पलता हैं जीवन का हर सपना 
माँ तू दर्द में मुझे सहला देती कराह सुन पसीना पोछ देती 
सपनो को पंख देती होसलो को ऊँचा कर देती 
माँ तेरा वो सुकून देता स्पर्श, कोमल व्यक्तित्व 
तेरी लोरी और थप थपि याद दिलाती मेरा अतीत 
माँ तुझसे अटूट न रिश्ता दूजा 
माँ तू जेसे भगवान की पूजा 
दूध का कर्ज कलम बया नहीं कर पायेगी 
बंद पलकों मैं सिर्फ तू ही सहलाएगी 
एक मैं हूँ जिसे माँ की चिंता नहीं रहती 
एक माँ हैं जिसे मेरे सिवा किसी की चिंता न रहती 
भूली नहीं हूँ अपनी इस गलती के अहसास को 
भुला दिया माँ की सिखाई हर बात को 
माँ एक तू हैं जो हर बार गलतिया माफ़ कर  देती हैं 
न सवाल पूछती हैं, जवाब खुद आप कर  देती हैं 
मेरी गलतिया जो माफ़ी के काबिल नहीं
मेरी गलतिया जिनका कोई साहिल नहीं 
माँ मेरे प्रायश्चित का नहीं कोई छोर 
माँ तुझसे सच्चा रिश्ता नहीं कोई और 

शोभा चौहान 16/दिसम्बर 2012

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