लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

विचार और गहराई
दोस्तों आज सुबह –सुबह चाय के कप के साथ दो शब्द मेरे मस्तिष्क में घर कर गए उन्ही को ध्यान रखकर ये आलेख लिखा उम्मीद हैं आपके काम आये आपको पसंद आये.
'विचार और गहराई' ये दोनों एक ऎसे शब्द हैं जो रोज हमारे जीवन से टकराते हैं कभी कभी एक साथ कभी कभी अलग अलग कहने का तात्पर्य जब हम दो करीबी रिश्ते के बात करते हैं वहाँ शायद टकराव इस बात का हो जाता हैं की दोनों के विचार भले ही एक जैसे हो सकते हैं इसी लिए तो वे इस रिश्ते में बंधे हैं लेकिन दोनों के विचारो की गहराई भी एक जेसी हो ये आवश्यक नहीं बस यही दोनों में कभी कभी टकराव पैदा कर देती हैं जिसे हमें समझना होगा ठीक इसी तरह दूसरा पहलू पहले हमने यहाँ दो लोगो के टकराव के बात की। अब हम उस टकराव की बात करते हैं जिसमे हम अकेले जिम्मेदार होते हैं विचार और गहराई के मामले में. की कुछ चीजो पर हम विचार तो कर जाते हैं पर कभी कभी उन पर गहराई से नहीं सोच पाने की वजह से कुछ गलत निर्णय ले लेते हैं या कुछ विषयों पर गहराई से सोच लिया जाता हैं पर उन पर विचार नहीं किया जाता कहने का तात्पर्य गहराई में जाने के पहले की प्रक्रिया विचार से होकर ही गुजरेगी। इसमें इस बात का बोध होना भी आवश्यक हैं की कुछ विषयो के गहराई तक पहुचने की जरुरत भी नहीं होती उनका समाधान निराकरण या निर्णय सिर्फ विचार करके भी लिया जा सकता हैं 'विचार' में मस्तिष्क ज्यादा सक्रिय रहता हैं 'गहराई' में आत्मा अधिक बलवान हो जाती हैं बस इसी फर्क को समझना जरुरी हैं की कहा विचार करना हैं कहाँ गहराई से सोचना हैं और कहाँ ये दोनों- 'विचार करके गहराई से सोचना हैं' विचार और गहराई को इस एक उदाहरन द्वारा भी समझा जा सकता हैं की हमें किसी जगह माँ की जरुरत होती हैं उनके बिना कार्य संभव नहीं किसी जगह पिता की जरुरत होती हैं लेकिन किसी -किसी जगह हमें दोनों की जरुरत होती हैं बस हमें यही ध्यान रखना हैं विचार और गहराई हमारे जीवन के माता-पिता के समान ही हैं जरुरी हैं समझना इसे संतुलित करने का नाम जीवन हैं।

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