लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

ये हमारे समाज की दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति  हैं की  ये ''जो आप आज हैं उस पर विचार नहीं करता ,किन्तु आप कल क्या थे ये उनकी चर्चा का विषय रहता हैं''  अक्सर वो किसी के सफलतम बदलाव को उसके असफल बीते कल के साथ अपने नीरस,अचल  वर्तमान के साथ  बैठा नहीं पाते  . उन्हें शायद इस बात का आभास हो जाता हैं वो जो कल था वो आज नहीं हैं....  पर हम तो जहाँ से चले थे आज भी वहीँ हैं और यही बात उनकी कुंठा का कारण बनकर किसी सफल व्यक्ति के जीवन के बदलाव को सहजता से स्वीकार्य होने से रोकती हैं जिसके चलते सफल व्यक्ति को आलोचनाएँ ज्यादा मिलती हैं शुभकामनाये कम या फिर देर से । शोभा जैन

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