लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

रविवार, 6 मार्च 2016

शिवरात्रि पर विशेष –
शोभा जैन

मित्रों इस आलेख का उद्देश्य किसी की भी आस्था को क्षति या ठेस पहुँचाना नहीं  है किन्तु एक नयी  पहल की   उम्मीद अवश्य है महाशिव रात्रि के दिन आप अवश्य शिवजी कि अपनी श्रद्धानुसार पूजन आराधना करें किन्तु उस दिन को इंसान के प्रति भी एक श्रद्धा भाव को विशेष दिवस के रूप में मनायें प्रायोगिक रूप में करें आप शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के लिए जब रखे तब साथ ही किसी गरीब भूखे बच्चे के लिए  भी भोजन या दूध अपने साथ रखे आपकी पूजन में आपको एक अलग आत्मविश्वास महसूस होगा एक आत्म संतुष्टि महसूस होगी। सामान्यतः हम सब हमारे दैनिक जीवन में इस तरह का कोई कार्य नहीं कर पाते है किन्तु ये पर्व, त्यौहार हमें परम्पराओं और आस्था को जीवंत रखने के साथ उनमें  समयानुसार नए मूल्यों को जोड़ने का, कुछ नया करने का भी एक अवसर प्रदान करते है इसलिए दिवाली के दिन सिर्फ पटाखें जलाकर लक्ष्मीजी का पूजन करना,होली के दिन एक दूसरे को रंग लगाकर त्यौहार मनाना हमारी परम्परा रही है किन्तु इस दिन हम कुछ बेहतर और अनोखा कर पाये जो दूसरों की खुशियों से जुड़ा हैं तो त्यौहार में पम्परा के साथ- साथ पीढ़ियां भी नयेपन को महसूस कर सकेंगी  हर नयी पीढ़ी हर त्यौहार में कुछ नया करेगी जो पूरी तरह निः स्वार्थ और बिना किसी अपेक्षा के लिए होगा परम्परा और पीढ़ियों में सामजस्य बैठाना ही आधुनिक समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। और इससे निः संदेह मानव के ह्रदय में इंसानियत का विस्तार होगा ।

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