--अर्थ जीवन की बुनियादी जरुरत है...‘‘अर्थ सामाजिक प्राणी के जीवन में कितना महत्व रखता है, यह कहने की आवश्यकता नहीं। इसकी उच्श्रृंखला बहुलता में कितने दोष हैं वे अस्वीकार नहीं किए जा सकते, परंतु इसके नितांत अभाव में जो अभिशाप है वे भी उपेक्षणीय नहीं। विवश आर्थिक पराधीनता अज्ञात रुप से व्यक्ति के मानसिक तथा अन्य विकास पर ऐसा प्रभाव डालती रहती है, जो सूक्ष्म होने पर भी व्यापक तथा परिणामतः आत्मविश्वास के लिए विष के समान है।
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