हम सभी के जीवन से हर रोज गुजरती कुछ पंक्तियाँ। रिश्तों और संबंधों के गिरते स्तर, तनाव, अलगाव के अहम कारणों पर प्रश्न वाचक शैली में संदेशात्मक किसी लेखक की ये पंक्तियाँ ----मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? मैं चुप, तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडेगा कौन ?...
लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन
मंगलवार, 16 अगस्त 2016
हम सभी के जीवन से हर रोज गुजरती कुछ पंक्तियाँ। रिश्तों और संबंधों के गिरते स्तर, तनाव, अलगाव के अहम कारणों पर प्रश्न वाचक शैली में संदेशात्मक किसी लेखक की ये पंक्तियाँ ----मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? मैं चुप, तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडेगा कौन ?...
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