हर आदमी का जीवन बसर होता है
शोर से अधिक एकांत में असर होता है
भागता है हर पल वो सुकून की तलाश में
बस अपने से ही बेखबर होता है
कर बैठता है नादानियाँ किसी मौड़ पर
जिक्र उसका घर -घर होता है
उपलब्धियाँ वो नहीं दे पाती जो,
आलोचना में जो असर होता है
-------शोभा जैन
शोर से अधिक एकांत में असर होता है
भागता है हर पल वो सुकून की तलाश में
बस अपने से ही बेखबर होता है
कर बैठता है नादानियाँ किसी मौड़ पर
जिक्र उसका घर -घर होता है
उपलब्धियाँ वो नहीं दे पाती जो,
आलोचना में जो असर होता है
-------शोभा जैन
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