लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

हर आदमी का जीवन बसर होता है
शोर से अधिक एकांत में असर होता है
भागता है हर पल वो सुकून की तलाश में
बस अपने से ही बेखबर होता है
कर बैठता है नादानियाँ किसी मौड़ पर
जिक्र उसका घर -घर होता है
उपलब्धियाँ वो नहीं दे पाती जो,
आलोचना में जो असर होता है
       -------शोभा जैन 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें