होली के रंगभरे उत्सव पर एक रचना आप सभी के लिए
रंगों वाला गाँव --
होली के रंगों में छिपे ,जीवन के हर रूप।
जीवन सबका उत्सवमयी हो,खिले फागुनी धूप ।
इंद्र धनुष के रंगों सा,
जीवन ले सबका रूप,
होली में सदभाव हो,
जग का उज्ज्वल रूप ।
जीवन की यह व्यस्तता,
कभी न होगी कम,
बस रंगों को नाम न दें,
जीकर देखे हम ।
सुंदर और सार्थक बने रंगों सा जीवन,
जैसे उत्सवमयी कृष्ण का मधुबन।
पुनः भूला दें ह्रदय मन से गहरा
रागों द्वेष,
जैसे निश्छल थे अपने बचपन के अवशेष
।
महानगर सा एकाकी न हो,
उत्सव का यह भाव,
इस होली शहर बन जाय रंगों वाला गाँव
।
--शोभा जैन
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