लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

बुधवार, 18 अप्रैल 2018

सारा क्रोध केवल फेसबुक या ट्विटर पर उकेरने के लिए ही होता है या हमारे समाज प्रेमी मित्र जमीनी लड़ाई भी लड़ रहे है |क्योकि अब तो बेटियों के बलात्कार की खबरे अखबार में छपने वाले हर दिन के राशी फल के जैसी हो गई है |इसकी वजह केवल और केवल आक्रोश का तमाशा करना ढोल पीटना है |जबकि जमीनी लड़ाई के लिए किसी के भी पास समय नहीं सब अपनी दिनचर्या सवारने में लगे है |कुछ तो चिलचिलाती जला देने वाली धूप होने की वजह से घर बाहर नहीं निकल सकते उनका राष्ट्र प्रेम ठंडी छत के नीचे कूलर या एसी के बिना बाहर नहीं आ सकता | बेटियों को संवेदना के परिणाम चाहिए कोरी देश भक्ति नहीं | उन बेटियों की जिनके साथ एसी कोई भी घटना हुई है उनकी तस्वीरे शेयर करने से अच्छा है जिन्होंने ये घिनोने कुकृत्य किये है उनकी तस्वीरे तलाशे शेयर करें |अक्सर हम उन बातों पर ही ध्यान देते है जो हमें करना है जो हमें नहीं करना है उसकी सूची हम कम ही बनाते है |शोभा जैन

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