सारा क्रोध केवल फेसबुक या ट्विटर पर उकेरने के लिए ही होता है या हमारे समाज प्रेमी मित्र जमीनी लड़ाई भी लड़ रहे है |क्योकि अब तो बेटियों के बलात्कार की खबरे अखबार में छपने वाले हर दिन के राशी फल के जैसी हो गई है |इसकी वजह केवल और केवल आक्रोश का तमाशा करना ढोल पीटना है |जबकि जमीनी लड़ाई के लिए किसी के भी पास समय नहीं सब अपनी दिनचर्या सवारने में लगे है |कुछ तो चिलचिलाती जला देने वाली धूप होने की वजह से घर बाहर नहीं निकल सकते उनका राष्ट्र प्रेम ठंडी छत के नीचे कूलर या एसी के बिना बाहर नहीं आ सकता | बेटियों को संवेदना के परिणाम चाहिए कोरी देश भक्ति नहीं | उन बेटियों की जिनके साथ एसी कोई भी घटना हुई है उनकी तस्वीरे शेयर करने से अच्छा है जिन्होंने ये घिनोने कुकृत्य किये है उनकी तस्वीरे तलाशे शेयर करें |अक्सर हम उन बातों पर ही ध्यान देते है जो हमें करना है जो हमें नहीं करना है उसकी सूची हम कम ही बनाते है |शोभा जैन
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