लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

कुछ प्रश्न वर्तमान पीढ़ी के जहन में----सम्बंधित है भविष्य से ----शायद अभिभावकों के कुछ काम आ जाए-----
१-प्रेम को लेकर असहज है समाज!
२-विवाह के फैसले पर असमंजस में युवा!
३-देख – भांप कर चुने जीवनसाथी
४-अंतरजातीय विवाह करेंया न करें
५-विवाह कीसफलता के पूर्व आंकलन मुल्यांकन का पेरामीटर क्या
६-कोई भी निर्णय पीढ़ियों में संवाद, ना बन जाय विवाद
७- अविवाहित रहने केक्या परिणाम[स्त्री औरपुरुष दोनों के]
८-लिव इन रिलेशनशीप कहाँ तक कारगर साबित
९ -जीवन के इस अहम निर्णय लेने की योग्यता का क्या पेरामीटर-उम्र,अनुभव,परिपक्वता,या कोई घटना अथवा परम्परा
१०-उपरोक्त फैसले समाज को ध्यान में रखकर ले या अपने वर्तमान औरभावी जीवन को
उपरोक्त के चलते प्रेम और विवाहित संबंधों के नए प्रतिमानों की न सिर्फ खोज हो रही है, बल्कि उन पर नए परीक्षण भी हो रहे हैं। यह दीगर है कि इससे पीढ़ियों में संघर्ष और तनाव उभरने लगा है।------ शोभा जैन

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