लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

समय के साथ- साथ हमारी किन चीजों का विकास हो रहा है इसका पुनरावलोकन होते रहना चाहिए कभी- कभीं सिर्फ शरीर का विकास होता है बुद्धि का नहीं, उम्र का विकास होता है अनुभव का नहीं, डिग्रियों की लम्बी कतारे किन्तु ज्ञान का नाम नहीं, विचारों के आडम्बर बहुत किन्तु उनमे तर्क नहीं, जीवन बहुत जीने को पर अनुशासन नहीं, आधा अधूरा विकास नहीं कहलाता 'संतुलित विकास' का पुनरावलोकन अवश्य होना चाहिए| कहने का अर्थ समयानुसार स्वयं को अपडेट करते रहना | क्योकि मेरा ऐसा मानना है ---'समय- असमय अपने भीतर से कुछ घटाना कुछ बढ़ाना अति आवश्यक हो जाता है |' शोभा जैन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें