इस तरह की स्मृति जो हमारे आज को अधिक सार्थक, समृद्ध और संवेदनशील बना दे। अपने जहन में रखना चाहिए |हमारी स्मृति का एक सिरा हमारे वर्तमान से बंधा होता है, तो दूसरा अतीत से। अतीत और वर्तमान के समय सरिता के बीच एक पुल है, जो दोनों किनारों के बीच संवाद का माध्यम बनता है किन्तु अक्सर उस सम्वाद को विवादित रूप दे दिया जाता है ।अतीत और वर्तमान में से किसी एक के साथ चलना है और किसी एक को साथ ले के चलना|क्योकि अतीत विस्म्रत नहीं होता किन्तु देता बहुत कुछ है सुधार के साथ वर्तमान के स्रजन के लिए | ---शोभा जैन
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