लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शनिवार, 9 जून 2018

मैंने घरों के दरवाजे पर बैठी भूख लिखी 
चोराहे पर दुर्घटनाग्रस्त लिखी एक बेटी 
फसल पर डाका डालते, लिखे पटेल 
मैने सरकार की लाठी गोली लिखी 
लिखी गाँव की लुटती आबरू .....
तुमने क्या लिखा कवि----

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