लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

1-  वर्तमान परिपेक्ष्य में..................
 कैसे मनाएं आज हम होली ?
जीवन मैं खुशियाँ, घर मैं रंगोली 
सहमी हैं माँ ,ओर बहन भोली 
कैसे मनाएं आज हम होली ?

प्रेम का गुलाल अब , मस्तक पर रोली 
पानी मैं सिर्फ अपनी वेदनाएँ घोली 
कैसे मनाएं आज हम होली ?

खो गयी हॅसी हर घर वीरान हैं 
ज़ख्म और तनाव का हर जगह निशान हैं 
भाई कि रही कहाँ बहन मुँह बोली 
कैसे मनाएं आज हम होली? 

मेरी ख्वाहिश हैं होली के कुछ रंग चुराने कि 
गैरो को नहीं अपनों को आज़माने कि 

पर हर ख़ुशी कि यहां देनी पड़ती हैं एक कीमत 
रिश्तो कि हर रोज़ यहाँ लगती हैं बोली 
कैसे मनाएं आज हम होली ?
कल होली का त्योहार है। हार्दिक शुभकामनाएं।

written by: शोभा  १६ मार्च २०१४


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