लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

1-  जानने की चाह है ।
सपनों का संसार क्या है ?
सपने पूरे  हो जाने पर क्या हैं
जानने की चाह है ।

अनन्त का विस्तार क्या है?
विस्तार में गहराई कितनी
जानने की चाह है।

जीवन इतना अद्भुत
 अप्रत्याशित क्यों हैं
जानने की चाह है।

मुक्ति का आधार क्या है ?
मुक्ति की संतुष्टि क्या हैं
जानने की चाह है

निःसंदेह काफ़ी अँधेरा है।
 लेकिन निराशाजनक नहीं।
05 april 2014


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