लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

एक औरत के द्वारा लिए गए निर्णय जिसके उसके अपने विरोधी थे उस विरोध से जन्मी ये कविता.....
हर बात सही होती तो क्या होता।।।।
गलत सही तो बातें हुई
पर इंसान मैं गलत नहीं....... 
वो 'शब्द' वो 'परिस्थिति'
जिनमें जन्मा मेरे लिये 'विरोध'
जबकि विरोधी थे शब्द और हालात
विरोधी भी मैं नहीं.....
फैसले होते हैं कुछ विरोध में
पर किसी न किसी के हक में .......
निष्पक्षता की द्रष्टि नहीं
जो देख सके निर्विरोध उन्हें
फिर विरोधों से भरे वो शब्द
जो लगे गलत, वो शब्द थे पर
गलत मैं नहीं ……

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