एक औरत के द्वारा लिए गए निर्णय जिसके उसके अपने विरोधी थे उस विरोध से जन्मी ये कविता.....
हर बात सही होती तो क्या होता।।।।
गलत सही तो बातें हुई
पर इंसान मैं गलत नहीं.......
वो 'शब्द' वो 'परिस्थिति'
जिनमें जन्मा मेरे लिये 'विरोध'
जबकि विरोधी थे शब्द और हालात
विरोधी भी मैं नहीं.....
फैसले होते हैं कुछ विरोध में
पर किसी न किसी के हक में .......
निष्पक्षता की द्रष्टि नहीं
जो देख सके निर्विरोध उन्हें
फिर विरोधों से भरे वो शब्द
जो लगे गलत, वो शब्द थे पर
गलत मैं नहीं ……
गलत सही तो बातें हुई
पर इंसान मैं गलत नहीं.......
वो 'शब्द' वो 'परिस्थिति'
जिनमें जन्मा मेरे लिये 'विरोध'
जबकि विरोधी थे शब्द और हालात
विरोधी भी मैं नहीं.....
फैसले होते हैं कुछ विरोध में
पर किसी न किसी के हक में .......
निष्पक्षता की द्रष्टि नहीं
जो देख सके निर्विरोध उन्हें
फिर विरोधों से भरे वो शब्द
जो लगे गलत, वो शब्द थे पर
गलत मैं नहीं ……
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