लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

हर पल जीवन की नई शुरुआत करता हूँ
मैं इंसा हूँ ये सोच के देवता को याद करता हूँ 
कुछ 'टूटता ' हैं तभी बनता हैं 'नया' 
ये सोचके नया 'आज' बुनता हूँ 
गलतियाँ अब अनुभवों में तब्दील हो गयी हैं 
उन्ही से अपना 'आज' अपना 'कल' आबाद करता हूँ
बिगड़ना ही सुधरने को आकार देता हैं
हर बिगड़ने पर फिर नया सुधार करता हूँ
नव निर्माण के लिए विध्वंस जरुरी हैं,
बीते का दुःख नहीं, फिर नई शुरुआत करता हूँ

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