हर पल जीवन की नई शुरुआत करता हूँ
मैं इंसा हूँ ये सोच के देवता को याद करता हूँ
कुछ 'टूटता ' हैं तभी बनता हैं 'नया'
ये सोचके नया 'आज' बुनता हूँ
गलतियाँ अब अनुभवों में तब्दील हो गयी हैं
उन्ही से अपना 'आज' अपना 'कल' आबाद करता हूँ
बिगड़ना ही सुधरने को आकार देता हैं
हर बिगड़ने पर फिर नया सुधार करता हूँ
नव निर्माण के लिए विध्वंस जरुरी हैं,
बीते का दुःख नहीं, फिर नई शुरुआत करता हूँ
मैं इंसा हूँ ये सोच के देवता को याद करता हूँ
कुछ 'टूटता ' हैं तभी बनता हैं 'नया'
ये सोचके नया 'आज' बुनता हूँ
गलतियाँ अब अनुभवों में तब्दील हो गयी हैं
उन्ही से अपना 'आज' अपना 'कल' आबाद करता हूँ
बिगड़ना ही सुधरने को आकार देता हैं
हर बिगड़ने पर फिर नया सुधार करता हूँ
नव निर्माण के लिए विध्वंस जरुरी हैं,
बीते का दुःख नहीं, फिर नई शुरुआत करता हूँ
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