बस एक पल.............
जिन्दगी जेसे हर रोज एक नया सूरज,
नयी रौशनी
नए अहसास, नए पल,
कुछ चिरस्थायी कुछ क्षणिक...
हर रोज एक नयी जिन्दगी
जीते हैं हम
सच-
जीवन एक यात्रा ही तो हैं
ट्रेन मैं मुसाफिर बन के
कुछ ऐसे हमराही बन जाते हैं
जिनकी अमीट यादो को हम
जिन्दगी भर का साथ बना लेते हैं
कितनी अजीब बात हैं
जिन्दगी के इस सफ़र की
दो अजनबी जब ट्रेन मैं
बिना कुछ कहे साथ बैठते हैं
तो निश्चित ही कुछ अनकहे शब्द
वहाँ जन्म ले लेते हैं
जो जोड़ देते हैं एक दुसरे को
उस पल के लिए
दो परिचित अजनबी बन जाते हैं
जब शब्दों के बिना साथ हो
जेसे उस रिश्ते मैं
सफ़र की थकान सी महसूस हो रही हो
हर शब्द जिन्दगी की एक
भोगी हुई सच्चाई कहता हैं
कोई पल कभी किसी के लिए नहीं रुकता
हम जिन्दगी जीते हैं बस उन पलो मैं ....
मेरा एक सवाल
क्या आपकी जिन्दगी का बस एक पल
किसी की पूरी जिन्दगी बन सकता हैं
???
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