क्या हम अपने परिवार के किसी सदस्य में अचानक से कोई बड़ा बदलाव महसूस कर रहे हैं अक्सर हम इन बातों को बहुत लाइट्ली ले लेते हैं या फिर अपनी अपनी चिंताओं और जिम्मेदारियों के चलते उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। लकिन कभी कभी हमारी छोटी सी नजरअंदाजी बहुत बड़ी किसी घटना का परिणाम प्रस्तुत कर देती हैं पिछले कुछ दिनों से मैं अख़बार के पन्नो में परिवार में आत्महत्या की खबरों को पढ़कर बहुत आहत हूँ जिसने मेरे सोचने समझने का नजरिया न सिर्फ बदल दिया बल्कि अब उस पर काम करने पर विवश भी कर दिया हैं मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन हैं की अपने परिवार के साथ हर दिन कुछ वक़्त जरूर बिताएं वो भी सिर्फ़ बिताना नहीं उसे महसूस करना, जानना की कही वो किसी वजह से परेशान या दुखी तो नहीं है ,जो आपके डर या शर्म की वजह से आपसे छुपा कर अंदर ही अंदर अकेलापन, कुंठा, भय असुरक्षा और निराशा को जन्म दे रहे हो.। जिसकी वजह से या तो वे किसी मानसिक रोग को आमंत्रण दे रहे हो या फिर आत्महत्या जैसी घटना के माध्यम से किसी गहरे असाध्य दुःख का अंदेशा। पर हम एक ही घर में रहकर अपने- अपने दुःखो की बंसी बजा रहे हैं हमें जरुरत हैं सार्वजानिक दुःखों को बांटने की क्योकि परिवार का दुःख कभी किसी एक अकेले का दुःख नहीं होता भले ही उसे जीता एक इंसान हो पर परोक्ष रूप से भोगता हर एक हैं। मेरी आप सबसे दरख्वास्त हैं की तेज रफ़्तार से चलते और प्रतिस्पर्धा के युग में परिवार में आपसी प्रेम ,समय विश्वास,और आत्मीयता की कमी बहुत बुरी तरह से हावी हो रही हैं जिसकी वजह से दिमाग असंतुलित हो रहा हैं मन के किसी खाली कोने की भरपाई हम जीवन भर करते रहते है इसी में कुछ लोग संतुलित रह पाते कुछ टूट जाते हैं लेकिन हमें उनके रिक्त स्थान को परिवार के प्रेम से भरना होगा क्योकि प्रेम के रिक्त स्थान प्रेम से ही भरे जाते हैं दवाइयों से नहीं इसलिए किसी घटना के होने का इंतजार न करे अपने परिवार को आत्मीयता से अपना समय दे वरन जो चला जायेगा वो कभी लौट कर नहीं आएगा समय की तरह ।
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