लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

मदद का अर्थ
पुर्णतः सत्यता पर आधारित एक आलेख समय निकाल कर एक बार अवश्य पूरा पढ़े और विश्लेषण करे मदद किसकी करे और उसके क्या मायने .........
मित्रो आज आप सबके साथ अपना एक ऐसा अनुभव शेयर करने जा रही हूँ जो मैने पिछले कुछ दिनों में ही जिया हैं मुझे उम्मीद हैं आप भी शायद अपने जीवन में कभी न कभी इस दौर से गुजरे होंगे या निकट भविष्य में गुजर सकते हैं बात गत माह की हैं मेरी एक मित्र का फ़ोन मेरे पास आया जो मुझे कही न कही अपना शुभचिंतक मानने के साथ -साथ सहयोगी भी मानती हैं मेरी कोशिश भी रहती हैं की मुझसे जितना और जो हो सके मित्रता के अतिरिक्त मानवता और इंसानियत के नाते मैं किसी के भी लिए कुछ कर सकु फिर वो कुछ कर सकना वैचारिक भी हो सकता हैं और मानसिक भी सिर्फ पैसो से सम्बंधित ही हो ये कतई आवशयक नहीं अगर ईश्वर ने मुझे थोड़ी क्षमता किसी ऐसे कार्य को करने के लिए दी हैं जो किसी के काम आ सके तो में जरुर उसे करने का एक प्रयास करती हूँ तो बस इसी सोच के साथ मैने उसका फ़ोन पिक किया कुछ ..औपचारिक बातचीत के बाद उसने मुझसे कहा मेरी एक मित्र हैं उसे कुछ रुपयों की आवश्यकता हैं आप एक ऐसे व्यक्ति हो जो मदद कर सकते हो इस बात को कहने में मेरी वो मित्र थोड़ी असहज जरूर थी इसके लिए उसने पहले कुछ दिनों तक मुझे यूँ ही फ़ोन लगा कर बार बार मिलने का आग्रह किया मुझे कुछ दिनों तक तो समझ नहीं आया आखिर ऐसी कौन सी समस्या आ गयी की ये मुझसे मिलना चाहती हैं किंचित कारणों से में समय नहीं निकाल पा रही थी क्योकि में भी चाहती थी की जब भी उससे मिलू वो पूरा वक़्त उसी का हो एक महिला होने के नाते में उस दूसरी महिला के दर्द और समस्या को अच्छी तरह समझना चाहती थी उसने इस दौरान मुझसे मिलने के कारणों का कोई खुलासा नहीं किया न ही कोई संकेत लेकिन मुझे कुछ अंदेशा हुआ फिर जिस दिन मेने उससे फ़ोन पर बात की तब उसने मुझसे आग्रह किया की उसकी एक मित्र हैं जिसे अतिआवश्यक रूप से कुछ रुपयों की आवश्यकता हैं आप ही मुझे नजर आये आप समझते हो दूसरों की परेशानियों को और मदद कर सकते हो आपने मुझसे कहा भी था की जब भी मेरी कोई हेल्प लगे बेझिझक कॉल कर सकती हो इसलिए मैने आपको फ़ोन किया ये सब उसके द्वारा मुझे कहा गया
मैने कहा रुपयों की आवश्यकता तुमको नहीं तुम्हारी मित्र को हैं जिसे मैं जानती भी नहीं हूँ पहली बात दूसरी बात तुमने एक उम्मीद रख कर मुझे फ़ोन किया हैं तो मैं तुम्हे निराश तो नहीं होने दूंगी पर आश्वस्त भी नहीं कर सकती जब तक मैं थोड़ा समझ न लू कहने का अर्थ अभी में कमिटमेंट नहीं कर सकती क्योकि मुझे उनसे मिलना पड़ेगा और चीजो को उनकी जरूरतों को समझना पड़ेगा उसके बाद ही में कोई जवाब दे पाऊँगी अगर आपको जरुरत होती तो फिर भी मैं इतना विचार विमर्श नहीं करती पर पेसो के मामले में भावनाओं से नहीं बुद्धिमानी से काम लेना जरुरी हैं अगर रिश्तों को जिन्दा रखना हैं उनकी वजह से आपके और मेरे रिलेशन ख़राब न हो जाय। ऐसा मेरा मानना हैं यही बात मेने अपनी मित्र से कही उसने जवाब दिया ठीक हैं मैं आपकी उससे अभी बात करवा देती हूँ वो अभी मेरे साथ ही हैं फिर उस अनामिका नामक महिला ने मुझसे बात की [बदला हुआ नाम ] कहा नमस्ते मैडम------ मेरी पिछले माह की सेलरी थोड़ी ज्यादा कट जाने के कारण मुझे कुछ लोगो को पैसे देने थे वो नहीं दे पायी और वो प्रेशर बना रहे हैं में बहुत परेशान हूँ इस वजह से अगले माह की की तनख्वा आने तक आप मुझे कुछ रूपए उधार दे दीजिये मैं आपको उसका ब्याज भी दूंगी। उसे 5000 रुपयों की आवश्यकता थी एक माह के लिए जो वास्तव में बहुत बड़ा अमाउंट नहीं था पर उसे देने के लिए मेरा उस पर विश्वास का बड़ा होना और उसकी परेशानी का मुझे वास्तविक लगना ज्यादा जरुरी लगा। मैने पूछा----- आपको पता नहीं था की इस माह आपकी तनख्वा कितनी कटने वाली हैं और उस हिसाब से आपने देनदारों से बात नहीं की, वो कुछ स्पष्ट जवाब नहीं दे पायी जिसकी वजह से मुझे महसूस हुआ उस महिला की जरुरत सिर्फ आज की नहीं हमेशा ही रहने वाली हैं इस समस्या का परमानेंट समाधान सिर्फ मेरे ५००० रुपयों के दे देने से नहीं होगा दरअसल मै उसकी समस्या की जड़ को समझना चाहती थी न की उसे वर्तमान की समस्या का समाधान कर उसे पैसे मांगने का आदि बनाना चाहती थी इसलिए मैने फ़ोन पर ही उसकी पारिवारिक पृष्टभूमि और वापस लौटने के सौर्सेस के विषय में विस्तार पूरक जानकरी ली जिसमे वो मुझे कन्वेंस करने में पूरी तरह असफल रही बल्कि वो मुझसे एक झूठ भी बोल गयी की उसका अगले महीने एक ५०००० हजार का लोन भी पास होने वाला हैं जिसके चलते वो मुझे मेरे पांच हजार लौटा देगी।
फिर मैने कहा आप आपके देनदारों को लौन के विषय में स्पष्ट कर दें वो भी तो एक माह तक रुक सकते हैं वो बोली नहीं मेम वो नहीं मान रहे हैं दरअसल मैं उसकी जरुरत की गहराई और सत्यता को परखना चाहती थी मैं चाहती थी की वो मुझसे सत्य कहे फिर मैने ज्यादा कुछ बात न करते हुए उस महिला से कहा की आप मेरी मित्र को फ़ोन दो मेरी मित्र ने फोन हाथ में लिया तब मेने उनसे कहा देखो मदद और जरुरत दोनों ही बातें अपनी जगह अलग अलग रूप से परिभाषित भी होती हैं तुमने सबसे पहले मुझसे मदद लेने का अर्थ पैसों में समझा इस बात का मुझसे खेद हैं मदद के अर्थ कई तरह के होते हैं पर हर स्तर के व्यक्ति के द्वारा जरुरत की परिभाषाये अलग अलग होती हैं जेसे जिसे पैसों की आवश्यकता नहीं उसके लिये जरूरत का अर्थ कुछ होगा लेकिन एक मिडिल क्लास या उससे कम वर्ग के लिये जरुरत का अर्थ सिर्फ पैसों से जोडकर ही लिया जाता हैं ये में भी समझती हूँ कहने का अर्थ इस तथ्य से में सहमत थी की मेरी मित्र ने मेरे द्वारा मदद का अर्थ पैसों से सम्बंधित ही क्यों समझा
ये एक एसी मदद हैं जो दिखाई देती हैं लेकिन बहुत सार्री एसी मदद हैं जो दिखाई नहीं देती सिर्फ महसूस की जा सकती हैं शायद एक माध्यम वर्गीय या संघर्षरत परिवार में दिखाई देने वाली मदद ही सबकुछ होती हैं क्योकि कही न कही वो आधारभूत और अनिवार्य आवश्यकता का एक हिस्सा होती हैं इसलिए मेने अपनी मित्र से कहा देखो में उनकी जरूरत से तो सहमत नहीं हो पा रही हूँ उनकी बातों में जो कॉन्फिडेंस मुझसे दिखाई दिया इससे मुझसे महसूस हुआ की की वो आदतन हैं इस तरह रुपयों की जरुरत से जूझने की साथ ही तुम नहीं समझोगी कुछ बातें पर मुझे उसमे वो दिखाई दी तुम भावुक हो गयी उसकी मदद मेरे द्वारा लेने के लिये लेकिन समझदारी से काम लो वो नहीं लौटा पायेगी समय पर ये में जानती हूँ जिसकी वजह से मेरे और तुम्हारे बीच खटास पैदा हो सकती हैं फिर मुझे लौटने के लिये वो किसी और से उधार लेगी बस यही चलता आ रहा हैं अब तक ये तुम नहीं जानती पर मुझे महसूस हुआ.. मेरी मित्र ने मुझे सही समझा और कहा शोभाजी आपकी बात हैं तो सही पर फिर में चाहती हूँ की कुछ न कुछ आप उसकी मदद कर दे उसके पैसे लौटने की ग्यारंटी मेरी अगर वो नहीं भी देगी तो मैं आपको दूंगी मेने जवाब दिया जब तुम्हारा ये वर्क प्रोफाईल नहीं हैं तुम खुद एक संघर्षरत जीवन जी रही हो दूसरों के फटे में क्यों उलझ रही हो तुम कहाँ से लाओगी फिर मुझे तुमसे वसूलना शोभा नहीं देगा
तुम इस बात को प्रैक्टिकल लो तुम उसे कितने समय से जानती पर नहीं समझ पाई मेने अभी २० मिनट बात की मिली भी नहीं पर कुछ भी पॉजिटिव और गले उतरने वाला नहीं लगा यार केसे मदद कर दू हैं अगर वो खुलकर सही सही सार्री बाते बताये तो हम बैठकर उनकी ये बार बार पैसों की जरुरत न पढ़े इस बात का कोई हल निकालसकते हैं उनके पति हैं बच्चे हैं माता पिता भी उनके साथ हैं फिर वो इतनी व्याकुल क्यों हैं ऐसे कौन लोग हैं जो इतने कम पैसों के लिये उन्हें इतना परेशान कर रहे हैं इन सब बातों पर सोचना भी जरुरी हैं सिर्फ पैसा दे देने से बात खत्म नहीं होगी और वो नहीं लौटा पायेगे समय पर इस बात को लेकर में आश्वस्त हूँ ...इस बात को भी तुम समझो की पैसा मेहनत से कमाया जाता हैं वो एक रुपया हो या एक हजार में भी देकर भूल जाने वाली तो नहीं मेहनत का हैं आखिर... एसी समाज सेवा तो लोगो को अकर्मिक और परजीवी बना देगी मित्र ने जवाब दिया आपकी बात तो बिलकुल सही हैं मेने कहा पहली चीज तुम अपने दिमाग से एक बात निकल दो की मदद का अर्थ सिर्फ पैसा ही होता हैं आगे के लिये ध्यान रखना और इस तरह से किसी भी व्यक्ति को बिना अच्छी तरह जाने परखे और पहचाने उसकी ग्यारंटी लोगी तो तुम मुसीबत में आ जाओगी एक साल से तुम्हारी उसके साथ जान पहचान हैं में भी तुमको एक ही साल से जानती हूँ पीएचडी के कारण हम मिले पर मैने तुम्हे जानने के साथ समझा भी और तुमको लेकर में कॉंफिडेंट हूँ आश्वस्त हूँ तुम्हे कभी गलत रास्ता नहीं दिखाउंगी दोस्त होने के नाते और इंसानियत के नाते भले ही मेरा फायदा हो
मेरी मित्र को शायद मेरी बातें सही होती प्रतीत हुई फिर वो बोली अब आप ही बताओ मेने उसको आपको लेकर बहुत विश्वास दिलाया था आपने ,मुझे भी तो हमेशा सही समय पर हेल्प किया मेरी परेशानिया भी आप ही हल करती हो मेने जवाब दिया तुम्हारी कोई भी परेशानी पैसों से सम्बन्धित नहीं थी तुम्हे तो सिर्फ मोटिवेशन चाहिए था थोडा निराश थी हर इन्सान के जीवन में पारिवारिक और व्यक्तिगत कारणों से समस्याए आती हैं मेरे जीवन में भी ऐसा होता हैं बस कुछ लोग स्वयं उनका हल निकाल लेते हैं कुछ अपनों के साथ मिलकर दोस्तों से इकहरे विमर्श कर ... मेने अब तक तुम्हारे साथ वही किया जिसे तुम ‘मदद ‘ कहती हो मुझे वो फर्ज लगा बस ......
मेने अपनी मित्र को कहा अब चुकी तुम्हारी बात रखना भी जरुरी हैं और इसलिए में उस महिला से मिलना तो नहीं चाहूंगी क्योकि वो मेरे साथ स्पस्ट नहीं हैं और उनके झूठ और घुमावदार बातें मुझे irrited कर जाय इसलिए इस काम को करते हैं प्रोफेशनली तरीके से सिर्फ आपके behalf पर मेरी मित्र ने बिना ये जाने की में क्या कहना चाह रही हूँ धन्यवाद् की झड़ी लगा दी मेने कहा पहले सुन तो लो
आप उस महिला को बोलिए की मैं सिर्फ आपकी वजह से उनके लिये ये सब कर रही हूँ न की उनकी मज़बूरी और जरूरतों के चलते क्योकि वो मेरे गले नहीं उतरी पहली बात ......दूसरी बात आप उनसे ये भी कहे की अगर वो महिला पैसे नहीं दे पाई तो पैसे मुझे [आपको ] लौटने होंगे तयशुदा तारीख पर चुकी मेरी मित्र की वजह से में ये काम कर रही हूँ इसलिए इस पर ब्याज माफ़ हैं और ये सिर्फ मित्रता के संयोगवश हो रहा हैं जरुरत के विश्वसनीयता के चलते नहीं..... इसलिए पुरे पांच हजार का जोखिम नहीं लेते हुए में उनकी 2500 रुपयों से मदद बिना ब्याज के कर सकती हूँ किसि के द्वारा दिलवाकर जो होगा वास्तव में मेरा ही. पर दिखाया ये जायेगा की की किसी और ने दिए हैं ये पैसे ठीक हैं न ....
इस पर मेरी मित्र खुश हो गयी अगले दिन मेने अपनी मित्र को फ़ोन किया 2500 रूपए देने के लिये तब उन्होंने कहा की वो लेने आने में असमर्थ हैं इसलिए वो उसी महिला को लेने भेज रही हैं मेने कहा ठीक हैं जिस व्यक्ति के हाथ में भेज रही हूँ उनका नम्बर आप उस महिला को दे दे वो उनसे बात करके कॉर्डिनेट कर लेगी मित्र ने कहा थैंक यू सो मच शोभाजी मैं जानती थी आप मदद अवश्य करेंगी मेने कहा थैंक यू की कोई अत नहीं आप मुझसे परसों लाइब्रेरी में मिलो फिर बात करते हैं फ़ोन पर नहीं दरअसल मैं उनको मदद के मायने जरा विस्तार में समझना चाह्हती थी जिससे वो भविष्य में भी इस बात को गहराई और गंभीरता से ले सके ......
मेरी मित्र बोली जरुर जरुर चूँकि मुझे उस महिला तक पैसे पहुचने थे इस वजह से मेरे ऑफिस के एक क्लाइंट जो कही न कही फॅमिली मेम्बर जेसे ही हैं और एक बेहद अच्छे इन्सान भी हैं उनको मेने पैसों के साथ भेजा उस महिला का फोन भी उनके पास आ गया था दोनों सही वक़्त पर मिल गए और उस महिला का काम हो गया लेकिन......
उस महिला ने मेरे क्लाइंट को अपनी समस्त परेशानियों से जो मुझसे जिस तरह से शेयर की थी उस व्यक्ति को बताई और कहा मुझे 2500 रुपयों की और आवश्यकता हैं अगर आप मेरी मदद ........ तब उस व्यक्ति ने जवाब दिया शोभा मैडम ने तो इतने ही दिए हैं आपको देने के लिये चूँकि आपने मुझसे अपनी परेशानी कही तो में देखता हूँ कोई मेरा परिचित अगर आपकी मदद कर पाए........ उस महिला ने उनका नम्बर सेव कर लिया बस उसके बाद वो निरंतर मेरे ऑफिस वाले उस व्यक्ति क्लाइंट से संपर्क में रही जिसकी जानकारी मुझे निरंतर मिलती रही हर एक बातचीत की अंततः मुझसे सर ने कहा की मैडम क्या करूँ उस महिला का अक्सर फ़ोन आता हैं और पैसों के लिये
मेने कहा माना कर दो स्पष्ट कह दो मेरे बगैर जानकारी के आप कुछ नहीं कर पाओगे इसके लिये आपको शोभा मेम से ही बात करनी होगी उन्होंने वही किया फिर कुछ दिनों बाद जब उस महिला को ये महसूस हुआ की वो शख्स अब उनके फ़ोन पिक नहीं करता हैं तो मेरे पास फिर से उस महिला का फ़ोन आया करींब आठ दिनों बाद 2500 रूपए और चाहिए थे मेने मना नहीं कहा अबकी बार .....लेकिन प्रोफेशनली अब सारी बातें कही मेने कहा में आपको और 2500 रूपए दे देती हूँ आप कुछ ओप्चारिक्ताये पूरी करनी होगी जेसे सिक्यूरिटी के तौर पर गोल्ड या सिल्वर मेरे पास रख दे उसके अगेस्ट में मैं आपको दे देती हूँ क्योकि मित्रतावश ,में आपको 2500 पहले ही दे चुकी हूँ वो भी बिना ब्याज के इन ढाई हजार पर तो आपको सिक्यूरिटी के साथ साथ ब्याज भी देना होगा अगर कुछ हैं तो ले जाएये वो बोली ------
मैडम वो तो नहीं हैं अक्सर में तो चेक स्टाम्प रख कर ही उधार लेती हूँ मेने कहा फिर वही से ले लीजिये क्योकि में इस तरह से काम नहीं करती बिना सेफ्टी के मैं नहीं चाहती आज जो आपसे मेरी हाय हेलो हो रही हैं वो भी बंद हो जाय मैं नहीं चाहती जितनी पारदर्शिता रखेंगे उतना बेहतर होगा वो बोली फिर देखती हूँ मेम... मेने कहा हैं बिलकुल इसे व्यक्तिगत होकर तो नहीं कर सकते न .....वो बोली ठीक हैं मेम
लेकिन उसने पुराने पैसों को लौटने के विषय में कोई भी बात नहीं की अंततः फ़ोन रखते वक़्त मुझे ही पूछना पड़ा आपने जो पहले 2500 लिये हैं वो आप अगले महीने की 10 तारीख को लौटा देंगी न क्योकि वो मेने किसी और से आपको दिलवाए हैं वो सिर्फ इतना बोली yes मेम आपको उससे पहले ही दे दूंगी ये बात और हास्यप्रद लगी ........
इस माह की ७ तारीख को मेने अपनी मित्र को फ़ोन लगाया याद दिलाने के लिये की 10 को उस महिला से पैसे लेने हैं मित्र ने कहा में आज ही उसे बोल दूंगी और आपको दे दूंगी उसके बाद से आज तक न तो महिला फ़ोन उठा रही न मेरी मित्र...... न ही मेरी मित्र मेरे मेसेजेस का जवाब दे रही हैं जिसका मुझे पूर्व अंदेशा था मेने भी वो पैसे एक अनुभव लेने के लिये इस्तेमाल किये जो मुझे मिला अगर ‘मदद’ का अर्थ सिर्फ पैसों से ही हैं तो दुनियाँ में किसी को किसी की मदद नहीं करनी चाहिए क्या इस पुर्णतः सत्यता पर आधारित आर्टिकल में बहुत कुछ हैं जो अनुभव किया जा सकता हैं
मुझे लगता हैं किसी भी इन्सान की मदद करने से पहले उसकी जरूरतों का आंकलन करना अत्यंत आवश्यक हैं क्योकि जरुरत तो हर रोज हर इन्सान की हैं पर पूरी करने योग्य कितनी हैं उनका स्तर क्या हैं वो सबसे महत्वपूर्ण हैं

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें