लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

मित्रों त्योहारों के सीजन में ठण्ड ने अपना एक अलग ही मुकाम हासिल करना शुरू कर दिया हैं कोशिश करे जितना भी बेहतर हो सके अपने आस -पास अगर कोई भी बच्चा या असमर्थ व्यक्ति या परिवार इस ठण्ड से जूझता नजर आये तो जो भी बन सके मदद करे भले ही एक कप गर्म चाय की या फिर पुरानी स्वेटर या शाल की। या पुरानी ऐसी कोई ओढ़नी जो आपके लिए रद्दी की लिस्ट में जुड़ चुकी हैं पर उनके लिए वो रजाई का काम करेगी इस माह अपने किसी एक शौक में कटौती करके भी कुछ नया लेकर दे सकते हैं तो उससे अच्छा कुछ नहीं आप नही जानते आप उनके जीवन के santa claus बन जाओगे। किसी की छोटी सी जरुरत पूरी करने की ताकत ईश्वर सबको देता हैं वो पूर्ति आपके जीवन के कई अभावों को कम कर देती हैं क्योकि एक अच्छा काम हमारे कई दुःखों को कम करता हैं और सेटिस्फेक्शन देता हैं जिससे कई बार हमें अपने दुःख बौने प्रतीत होने लगते हैं । बल्कि सिर्फ इंसान के लिए नहीं जानवरों के प्रति भी इंसानियत के रिश्ते से ठण्ड में सिकुड़ता देख या तो उनके पास अलाव जला कर उन्हें गर्मी दे या फिर कोई बोरा या कपडे से उन्हें कवर कर दे जिससे वो ठण्ड का आभास कम और इंसानियत का आभास ज्यादा कर सकें बात बहुत छोटी हैं पर कर गुजरने पर सबसे बड़ी और गहरी भी। जिस दिन आप ऐसा करेंगे आप उस दिन सबसे बड़ा त्यौहार अपने भीतर महसूस करेंगे और इस सर्द ठण्ड में सबसे ज्यादा गर्मी । शुभाशीष
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Yogesh Malviya खुद के बारे तो सभी सोचते है पर दूसरे के बारे में कम सोच वाले है। मदद हेतु आगे आना होगा यह शिक्षा स्कूल से घर से बड़ो की पहल से हो तो सीख बनेगी

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