लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

रविवार, 21 फ़रवरी 2016

जन्म तिथि -आधुनिक साहित्य के प्राण श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी  21 फ़रवरी सन 1896 

हिन्दी कविता के अमर-स्वर, माँ वाणी के प्रिय पुत्र, माँ सरस्वती के हर आराधक के कुल-गुरु महाप्राण निराला को उनके जन्मदिवस पर प्रणाम!  सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य जगत महाप्राण का ऋणी है! उनके चरणों में नत होते हुए मैं सभी साहित्यिक मित्रों को निराला जयंती की हार्दिक बधाई देती  हूँ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें