लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

रविवार, 21 फ़रवरी 2016

भवानीप्रसाद मिश्र स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी काव्य जगत की गांधीवादी परम्परा के बड़े हस्ताक्षर हैं। उनकी रचनाओं में गांधीवाद, प्रकृति के प्रति स्पृहा और ग्राम्य जीवन की मोहक झांकी देखी जा सकती है। 31 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भवानी बाबू को नमन है।  उनकी सुप्रसिद्ध कविता सतपुड़ा के घने जंगल, जिसे पचमढ़ी के जंगलों में प्रवेश करने से पूर्व मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने अंकित किया है। यह मध्यप्रदेश के सपूत को याद करने का एक अच्छा तरीका तो है ही, साथ ही पचमढ़ी के जंगलों के काव्यात्मक रेखांकन के माध्यम से कवि तथा प्रकृति के सौंदर्य से पर्यटकों को लुभाने का एक अनूठा प्रयास भी है।

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