भवानीप्रसाद मिश्र स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी काव्य जगत की गांधीवादी परम्परा के बड़े हस्ताक्षर हैं। उनकी रचनाओं में गांधीवाद, प्रकृति के प्रति स्पृहा और ग्राम्य जीवन की मोहक झांकी देखी जा सकती है। 31 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भवानी बाबू को नमन है। उनकी सुप्रसिद्ध कविता सतपुड़ा के घने जंगल, जिसे पचमढ़ी के जंगलों में प्रवेश करने से पूर्व मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने अंकित किया है। यह मध्यप्रदेश के सपूत को याद करने का एक अच्छा तरीका तो है ही, साथ ही पचमढ़ी के जंगलों के काव्यात्मक रेखांकन के माध्यम से कवि तथा प्रकृति के सौंदर्य से पर्यटकों को लुभाने का एक अनूठा प्रयास भी है।
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