लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

शोभा जैन की दो लंबी कविताएँ[ ई-पत्रिका 'रचनाकार' में प्रकाशित मेरी दो कवितायेँ]

शोभा जैन की दो लंबी कविताएँ: दो कवितायेँ -- -समय के साथ.………… लेखिका ---शोभा जैन समय बदलता हैं पर नहीं बदलती कुछ चीजें समय ...

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