लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

-जिंदगी गुजारने के लिए आधारभूत /मूलभूत सुविधाओं का होना आवश्यक हैं परन्तु जीवन जीने के लिए........ ? एक उम्मीद का होना, संवेदनशीलता का होना, भावनाओं का होना,सामाजिक जीवन में पारदर्शिता, तमाम दुःखों, शिकायतों, गलतियों और विरोधाभासों के बावजूद किसी इंसान के साथ का होना। क्योकि अगर मनुष्य योनि ली हैं तो ये सब तो जीवन से जुड़ेगा ही... पर भरपूर सुविधाओं या विलासिता से भरा जीवन 'जीने' के लिए भी उपयुक्त हो ये आवश्यक नहीं क्योकि संतुष्टि तो प्रतिकूलताओं में जीत हासिल करके ही मिलती हैं सुविधाये सिर्फ़ समय व्यतीत करने का साधन बन सकती हैं जीवन जीने का नहीं ।। शोभा जैन

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