लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

मंगलवार, 15 मार्च 2016

विजय  विकल्प चुनो....

     शोभा जैन


यह जीवन हार के लिए नहीं
  बल्कि उन संकल्पों पूर्णन्ति है,
जो वर्षों पूर्व क्रूर शताब्दियों के परिणाम से जन्मे थे,
जो आज जीवन के हर मार्ग पर युद्धरत है।
हमारा जीवन उस विजय  के लिए है ,
   जिसकी आशा  हम हर दिन करते है
उगते सूरज के साथ, डूबते दिवस के मध्य
जीवन के सबसे क्रूरतम क्षण में भी।
अन्तस् में निहित श्वास के अंतिम क्षणों में भी
सूरज की रौशनी,
'रौशनी' केवल एक छत के लिए नहीं
हमने तो स्वप्न देखे हैं
पूरे आकाश में 'रौशनी' फैला देंगे।
हमारे जीवन में हो
सबका दुःख,सबकी व्यथा, सबके लिये समता
खेत की मिट्टी के लियेभी,वृक्ष के फलों के लिये भी,
गरीब की गरीबी के लिये भी
उसकी टूटी खाट,और सुखी रोटी के लिये भी
रेल किनारे उस जीवन के लिये भी
हमारा युद्ध,
अभावों में पलते हर उस क्षण के लिये
जो भले ही हमने नहीं जिया,
पर जीते देखते हैं हर रोज
अपने चारों ओर
ये अवसर हमें मिला हैं इन्सान के रूप में
विजय की  मशाल सभी के हाथों की शोभा नहीं बनती
जीत का विकल्प सदा- सदा हमारे समक्ष सुरक्षित  रहता है।
'प्रतीक्षा' करने के बजाय 'चुनाव' करके
चुनौतियों से युद्ध करने के  साहस का गौरव
एक मात्र मनुष्य को प्राप्त है..
दुर्लभतम जीवन को टिकाऊ मत बनाओ।
इतना भी मत की स्वयं को जवाब भी न दे सको।
चुनौतियाँ अक्सर अवसर लेकर आती हैं
मनुष्य  से इंसान, आदमी से कुछ उपर  उठने का
इसलिए ,
उठो और जीवन के  मोर्चों पर
युद्धरत रहो ,जीत की प्रतीक्षा मत करो
विजय का विकल्प चुनों।

शोभा जैन

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