लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

मंगलवार, 15 मार्च 2016

पेड़ की गाथा

    --शोभा जैन

मैं  पेड़ हूँ।
मेरी जड़ों में समाया  कई पढियों का रहस्य
मैने देखा है द्वन्द
परम्पराऔर पीढ़ियों के मध्य ।
मैने देखे है पत्तों की तरह,
इंसान के जीवन में,
सम्बन्धों के  रूखेपन ।
जाने कितने
पतझड़ और बसंत।
मेरी टहनियाँ गवाह है
हर पीढ़ी कि झूलन की ।
मेरे फल पक कर गिर गये
समय के साथ ।
मैने देखा  हर पीढ़ी को
अपने भीतर, अपनी काया में ।
अब मैं बूढ़ा हो चला हूँ
फिर से हरा होने के लिए
फिर से जीने के लिए वही अनुभव
ये  मेरे जीवन की पुनरावृत्ति है
पुनरावलोकन के साथ ।
पुराने शब्द पर नए अर्थ की कलम लिए।

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