लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

रविवार, 3 अप्रैल 2016

जीवन के उद्देश्य को गहराई से समझे ........
 - शोभा जैन
आज के समय में गहरा सम्बन्ध टूटने से हताशा में डूब जाने काअंतिम विकल्प हर उम्र दिखाई दे रहा है| किसी से मित्रता, प्रेम या विवाहित जीवन केटूटने पर निः संदेह गहरी भावनात्मक क्षति पहुँचती है जिससे उबरना कठिन जरुर होसकता है किन्तु आसानी से मुम्किन भी है क्योकि जीवन आपको वे सारे अनुभव देता है जो आपकी चेतना के विकास में मददगार होते है अनुभवों से ही पककर आदमी मजबूत बनता है पकने के लिए विभिन्न प्रकार की घटनाएँ हमारे जीवन में होती है जैसे किसी अपने की अकस्मात म्रत्यु, या फिर सम्बन्ध विच्छेद इसी तरह के अनुभवों के चलते अलग-अलग लोग हमारे जीवन मेंआते है| ये सब हमें और हमारे अनुभवों को समृद्ध बनाते है| संबंधो का टूटना गलती नहीं , ना ही आपकी असफलता कासूचक बल्कि वो कई बार घटना केरूप में आपको आपके जीवन के सही उद्देश्य तक पहुचाने के मकसद से घटित होता है| हजारों उदाहरण मौजूद है कुछ एक अपवादों को छोड़ दे तो, जो लोग आज दूसरों के आदर्श या मिसाल बने है उनके जीवन में किसी न किसी तरह की घटना ने ही उनके जीवन का मकसद उन्हें दिया फिर चाहे वो विवाह विच्छेद हो, प्रेम विच्छेद हो,या फिर किसी कीअकस्मात म्रत्यु या फिर कोई भारी आर्थिक अथवा मानसिक क्षति कुछ उदहारण में हिंदी के कई बल्कि अधिकतर ऐसे साहित्यकार मिलेंगे जो विवाह या प्रेम विच्छेद से गुजरकर ही संवेदनशील या मार्मिक साहित्य रच पाये | मुंशी प्रेमचन्द , जयशंकर प्रसाद, मोहन राकेश, मन्नू भंडारी, कृष्णा अग्निहोत्री, महादेवी वर्मा ये सारे जीवन के उसी दौर से गुजरे है जहाँ से आज आप हम जैसे लोग गुजरते है किन्तु हताश होकर गुजरते है किन्तु हम नया नहीं रचते आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते है| इन सबकी जीवनी मैने बहुत करीब से पढ़ी और अनुभव किया संमाज के लोग आदमी को हताश करते है 'वो गलत है' ये कह -कह कर| वरना आदमी स्वयं भीतर से कभी इतन हताश नहीं होता| टीवी ऐक्ट्रेस प्रत्युषा के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ |अपने ब्लागर पर उपरोक्त साहित्यकारों के जीवन के कुछ सारांश अपडेट भी किये है आप देख सकते है | सत्य यही है 'लाइफ का यू टर्न' इसी तरह की घटनाओं से मिलता है अक्सर|इसलिए घटना को अंत नहीं आरम्भ समझे |टूटे नहीं, इसे कुछ नया जुड़ने की कड़ी समझे क्योकि विध्वंस की स्रजन का कारण बनता है|
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