लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

भारतीय नव वर्ष की आत्मीय आनंत शुभकामनाओं के साथ ......
ये कविता आप सब के लिए... एक उम्मीद लिए......
----शोभा जैन
हर दिन नया ,
गर, हर दिन कोई उम्मीद हो,
कभी लगे दिवाली,
कभी बैसाखी कभी ईद हो
संशय,भ्रम,संदेह से परे
बने,ऐसा कोई मीत हो
जिसमें हार भी लगे,
जैसे कोई जीत हो
मुट्ठियों के प्रहार,जीवन के पहाड़
जब तक है रक्त संचार
और ये संसार ।
तो क्यों न इसे अम्रत बन पी ले
अपने जीवन को बस जी ले
महज एक उम्मीद है,
हर किसी के जीवन को पढ़ ले
ऐसा पारदर्शी हर मन हो
सबके जीवन में संतुष्टि,सुखी हर मन हो
इन्सान सिर्फ नदियों से नहीं
पहाड़ों से भी प्रेम करे
सिर्फ संयोग नहीं, वियोग भी वहन करे
क्यों हम भ्रमित इच्छाओं में उदास है
जो आस वो 'नियति' के हाथ है
'कर्म' करते रहना सिर्फ हमारे पास है
आदमी प्रक्रति का दास है ।
जीवन की हर चुभन को सहन करें
सिर्फ अपने नहीं,
दूसरों के दुःख को भी वहन करें
नहीं दे सके जीवन अपना,
कम से कम निश्छल तो अपना मन करें ।

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