लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

मंगलवार, 12 अप्रैल 2016


कुछ पंक्तियाँ --
    शोभा जैन 
घबराने की वैसे कोई बात नहीं है,
बस मेरे सिवा कोई मेरे साथ नहीं है|
सत्य भी अब प्रमाण का मोहताज है
ये सत्य के लिए कोई नई बात नहीं है|
बेमोसम बादल भी घिरते है,
सिर्फ मोसम में अब बरसात नहीं है|
जीवन की हर बाजी जीत लेंगे,
बस मौत के हिस्से में कोई मात नहीं है |

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