लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016


--ठन्डे आदमी की सोच 
         - शोभा जैन 




जब तक आपको यह ज्ञात न हो जाय की आप किस उद्द्देश्य की पूर्ति के  लिए बने  है तब तक सुकून से जीने की चेष्टा करना व्यर्थ है ..संक्षेप में कहें तो प्रतिपल आपको आत्मबोध होते रहना चाहिए ...क्योकि दुनियाँ का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति के लिए बना है समय ईश्वर ने सबको एक समान दिया है उसकी उपयोगिता आपके भविष्य का निर्धारण करती है ...हमारा अतीत और वर्तमान दोनों का निचोड़ हमारा मार्गदर्शन करता है आपका कुछ भी किया व्यर्थ नहीं जाता बशर्ते उसका उपयोग खाद के रूप में किया जाय ..दुनियाँ के सारे ही लोग महान 'दार्शनिक' नहीं बन सकते किन्तु 'चिन्तन' की प्रवृत्ति इंसान को आत्मबोध के लिए प्रेरित करती है ...कोशिश इस बात के लिए की जानी चाहिए की हर रोज एक आम इंसान की तरह अन्न को पचाना है या अन्न से उर्जा का निर्माण करना है ....अपने विचार और कर्म के मध्य संतुलन सेतु में चिन्तन की अहम भूमिका होती है ...ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है चिन्तन फिर चाहे किसी छोटे से कार्य को प्रारंभ करने के पूर्व ही क्यों न किया गया हो जैसे -भले ही गृहणी का रोटी बेलना, करछी से सब्जी चालना या फिर लेखक का कलम से पहला शब्द लिखना ये तीनों ही कार्य एक चिंतनशील व्यक्ति बहुत सोच विचार कर करेगा जिसके परिणाम उसके कार्य में स्पष्ट झलकेंगे ये सत्य है विचार मंथन  कभी गलत परिणाम नहीं देगा ....अक्सर ऐसे लोगो को 'ठंडा इंसान' कहकर व्यंगात्मक रूप से संबोधन दिया जाता है क्योकि वो किसी भी कार्य की शुरुआत करने में इतना अधिक सोचते विचारते और निर्णय लेने में असीम धैर्य का परिचय भी देते है इस वजह से कई बार चीजें छूट भी जाती है ..अर्थात किसी चीज की शुरुआत ही नहीं हो पाती क्योकि  आम इंसान की भागने की प्रवृत्ति और शीघ्र हाथ का काम निबटाने की आदत उसे ऐसे चिंतक लोगो से स्वतः ही दूर कर देती है.....किन्तु किसी भी कार्य के समस्त पहलुओं पर विचार मंथन कर उसके परिणाम और दुष्परिणाम दोनों के लिए मानसिक तैयारी ही सफल व्यक्ति  का  परिचय बनती  है दरअसल ऐसे में मानव की स्थिति के हर पहलु को छूना होता है ...और मानसिक तैयारी वक़्त लेती है ...किसी भी कार्य को आज के द्रष्टिकोण से नहीं बल्कि भविष्य के नजरिये से तैयार करना ही दूरदर्शिता का परिचायक होता है अक्सर कुछ निर्णय  वर्तमान में ठेस पहुंचाते है  किन्तु एक सुद्रण भविष्य की नीव रख देते है...अतः इंसान को भविष्य को केंद्र में रखकर अपने वर्तमान की परिधि में  अपने निर्णयों और योजनाओं का क्रियान्वयन कर समाज में एक ठन्डे किन्तु बुद्धिमान शख्सियत की छवी के रूप में स्वयं को स्थापित करना चाहिए  जिससे दूसरे भी आपका अनुसरण कर सके .. हो सकता  है ऐसा करने से आप कई सुनहरे अवसरों से हाथ धो बैठे किन्तु जो हाथ लगेगा वो आजीवन आपके साथ होगा ,एक संतुष्टि और सुकून के साथ बिना किसी जोखिम के ..... [यहाँ युवाओं के लिए एक बात अवश्य लिखी जायेगी की अवसरों के पीछे नहीं भागे बल्कि स्वयं अवसर बनाये स्वनिर्मित अवसर आपके जीवन में  विरासत का काम करेंगे  वो विरासत जो आपने स्वयं बनाई है जो आज आपकी अमूल्य धरोहर होगी जिसे आप भावी पीढ़ी के हाथों सोंप सकेंगे ]
      इस आलेख में मेरे अपने व्यक्तिगत अनुभवों की भरमार है इसे लिखने में मैंने बेहद सुकून का अनुभव किया कारण एक मात्र की इसे लिखने से पहले जिया गया है इस जीने ने मेरा मनोबल बढाया फिर मुझे लगा क्यों न इस अनुभव को अपनों के साथ बांटा जाय शायद किसी के काम आ जाय .......
      साभार -

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