अपनी बात -
स्त्री के की उन्नति में सबसे बड़ी बाधाएं समाज की रुढ़िवादी परम्पराएँ है | साहित्य में स्त्री आत्मकथाएँ सिर्फ व्यथा कथाएँ नहीं हैं बल्कि तमाम तरह की पितृसत्तात्मक चुनौतियों को स्वीकार करते हुए स्त्री के बनने की कथाएँ हैं। इस बनने के क्रम में बहुत कुछ जर्जर मान्यताएँ टूटती हैं लेकिन जो बनती है उसे पहले आलोचना के साथ बाद में उसके अस्तित्व को पूरी दुनिया स्वीकार करती है बल्कि उसके उदाहरण भी देती है ।
स्त्री के की उन्नति में सबसे बड़ी बाधाएं समाज की रुढ़िवादी परम्पराएँ है | साहित्य में स्त्री आत्मकथाएँ सिर्फ व्यथा कथाएँ नहीं हैं बल्कि तमाम तरह की पितृसत्तात्मक चुनौतियों को स्वीकार करते हुए स्त्री के बनने की कथाएँ हैं। इस बनने के क्रम में बहुत कुछ जर्जर मान्यताएँ टूटती हैं लेकिन जो बनती है उसे पहले आलोचना के साथ बाद में उसके अस्तित्व को पूरी दुनिया स्वीकार करती है बल्कि उसके उदाहरण भी देती है ।
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