महज़ एक दिन महसूस किये जाने वाले 'प्रेम दिवस ' पर एक कविता
कुछ प्रीत निभा लें ..
-शोभा जैन
चलों आओं थोड़ी सी ‘रीत’ निभा लें
कुछ कहने सुनने में ‘प्रीत’ निभा
लें
कुछ ऐसा हो जो अपनों को अपनों से
मिला लें
चलों आओं थोड़ी सी रीत निभा लें
कुछ कहने सुनने में प्रीत निभा लें|
बोये बहुत हैं कांटें कुछ गुलाब अब लगा
लें
चलों आओं थोड़ी रीत निभा लें
कुछ कहने सुनने में प्रीत निभा लें|
क्षमा दें उन्हें, खुद गलतियों की सजा
लें
चलों आओं थोड़ी सी रीत निभा लें
कुछ कहने सुनने में प्रीत निभा लें|
ये अभिमान,अहंकार, की सीमाएं मिटा
लें
चलों आओं थोड़ी सी रीत निभा लें
कुछ कहने सुनने में प्रीत निभा लें|
स्वप्न जो बिखरे हैं उन्हें आँखों
में बसा लें
चलों आओं थोड़ी सी रीत निभा लें
कुछ कहने सुनने में प्रीत निभा लें
छोड़ दुनियाँ से छाँव की उम्मीद
बस प्रेम की पनाह लें
चलों आओ थोड़ी सी रीत निभा लें
कुछ कहने सुनने में प्रीत निभा लें
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