हर इंसान,हर हालात,हर क्षण,से हम 'सीखते' है,कभी -कभी 'सबक' भी लेते है| दरअसल में 'सीख' के पीछे 'छिपे' अनुभवी शब्दों की गूंज हमारा मार्ग प्रशस्त करती है | वे शब्द जो हमने कहीं सुने या हमारे सामने दोहराएँ जाते है या जिनके संपर्क में हम बार -बार आते है | अक्सर 'पाठशाला' में, हम उन्हें सुनने के साथ आत्मसात करने का प्रयास भी करते है | 'पाठशाला' कोई भी हो सकती है विद्यालय के अतिरिक्त |जीवन बहुत आसन लगने लगता है जब एसी कोई शख्सियत हमारे जीवन में होती है जिनके पास 'समस्याओं' के साथ उनके 'समाधान' भी होते है, जो केवल 'निर्णय' नहीं सुनाते बल्कि उनके 'परिणामों' में भी हमारे साथ खड़े होते है जितने सख्त उतने कोमल भी |जीवन के एसी सभी महत्वपूर्ण शख्सियत को एक 'शिक्षक' के रूप में संबोधित करते हुए मेरी आदरांजलि || शत -शत नमन || 'शिक्षक दिवस' की अशेष शुभकामनाएँ ---शोभा जैन
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