लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

महिलाओं में रोने का गुण होने के कारण ही पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को दिल के दौरे कम पड़ते हैं। स्त्रियां रोकर अपने दिल का बोझ हलका कर लेती हैं। अपने मानसिक तनावों को आंसुओं द्वारा कम न कर पाने के कारण पुरुष प्रायः धमनियों संबंधी शिकायतों से ग्रस्त रहते हैं।
आंसू के कारण ही आंखें नम रहती हैं। कुछ चिकित्सकों का कहना है कि भावनात्मक आंसू अवसाद, उदासी एवं क्रोध को समाप्त करते हैं। रोने से मन का संपूर्ण मैल धूल जाता है। अतः जब कभी भी किसी कारण से रोना आए तो उसे रोकना नहीं चाहिए, बल्कि खुलकर बाहर आने देना चाहिए।

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