- हदों का काफ़िला...........................
हदों में रहने कि हिदायत
तो सभी देते हैं
हदें पार हो जाय तो करे क्या,ये समझाइश
कम ही देते हैं ........
रोकते हैं वही जो खुद हदें
पार कर देते हैं
कुछ हदें तय हैं पर वक़्त के
आने पर ,
उसे भी उसे भी करार कर देते हैं
हदें बेहद जरुरी हैं, पर बिना उन्हें तोड़े
हदों मैं रहना लगता, सिर्फ मजबूरी हैं
ये हदों का शहर हैं, यहां बस्तियाँ हदों की
मुस्कराहट यहां हदो कि यहां कश्तियाँ
हदो की
हदों को पहले समझना, कहाँ होना कहां न होना
जीवन कि सबसे बड़ी उलझन हैं
हदों कि हिदायतें समझता कहां मन
हैं
एक हद टूटी तो दूसरी का
टूटना तय है
हदो के टूटने मैं लगता
जीवन आनंदमय हैं
हदों ने बड़ा दिए हैं रिश्तों मैं
फासले कितने
हदें बेहद जरुरी हैं फ़ैसलों कि
हद पर
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