लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

दूसरों के दुःख भुलाने का फन नहीं आता
ख़ुशी को अपनी छिपाने का फन नहीं आता
कमी एक और दी हैं खुदा ने हमें
ग़मों को अपने दिखाने का फन नहीं आता
कोई गुजरे इस राह से तो पढ़ ले भला
किसी को पढ़कर सुनाने का फन नहीं आता
वो एक दरमियाँ बन गयी हैं लकीरें मज़हबी
मगर दिवार उठाने का फन नहीं आता
माना,
दिल को लुभाती हैं अदाकारी हर कला की मगर
किसी के नाज उठाने का फन नहीं आता
हम भी गुजरे हैं दुनियाबी ग़मी दरख्तों से
हमकों पर आंसू बहाने का फन नहीं आता 

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