पुरुस्कारों की वापसी के संदर्भ में। ...
सम्मान तब अपयश बन जाएगा जब आप किसी एक अन्याय, एक अत्याचार,एक अंधेर पर विद्रोही दिखेंगे -किन्तु दूसरे अन्याय पर शांत रहेंगे लेखकों को विचारोत्तेजक होना शोभा देता हैं पर व्यक्तितोजक होना नहीं ,लेखकों को अपने विरोधाभास और विद्रोह को अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से अभिव्यक्त करना उनके सच्चे लेखक होने का प्रमाण बन जाता हैं न की पुरुस्कारों को लौटाने जैसे और अनशन पर बैठ जाने से वे अपनी एक अनुशासित छवि को पाठको के समक्ष एक विद्रोही व्यक्तित्व की छाप छोड़ रहे हैं जबकि विरोध और विद्रोह उनकी लेखनी के अलंकार हैं उनके व्यक्तित्व के नहीं। [पिछला आलेख 'पुरस्कारों की वापसी' के संदर्भ में ]
सम्मान तब अपयश बन जाएगा जब आप किसी एक अन्याय, एक अत्याचार,एक अंधेर पर विद्रोही दिखेंगे -किन्तु दूसरे अन्याय पर शांत रहेंगे लेखकों को विचारोत्तेजक होना शोभा देता हैं पर व्यक्तितोजक होना नहीं ,लेखकों को अपने विरोधाभास और विद्रोह को अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से अभिव्यक्त करना उनके सच्चे लेखक होने का प्रमाण बन जाता हैं न की पुरुस्कारों को लौटाने जैसे और अनशन पर बैठ जाने से वे अपनी एक अनुशासित छवि को पाठको के समक्ष एक विद्रोही व्यक्तित्व की छाप छोड़ रहे हैं जबकि विरोध और विद्रोह उनकी लेखनी के अलंकार हैं उनके व्यक्तित्व के नहीं। [पिछला आलेख 'पुरस्कारों की वापसी' के संदर्भ में ]
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