साहिष्णु आदमी की कविता ...........
सभी
रिश्ते अटूट नहीं होते
सभी सम्बन्ध मजबूत नहीं होते
सभी
मन निश्छल नहीं होते
सभी जगह
सिर्फ छल नहीं होते
सभी
वासनाएँ दुष्ट नहीं होती,
सभी इच्छाएँ उत्कृष्ट नहीं होती
सभी
व्यवसायी परिश्रमी नहीं होते
सभी
सामाजिक जीवन में पारदर्शी नहीं होते
हर
परिवार में प्रेम नहीं होता
सभी
प्रेम अविश्सनीय नहीं होते
सभी विश्वास अटूट नहीं होते
सभी
दुःख असहनीय नहीं होते
सभी
क्रियाए सकर्मक नहीं होती
सभी
बंधन ऐच्छिक नहीं होते
सभी
ख़ुशी में संतुष्टि नहीं होती
सभी
सपने अधूरे नहीं होते
सभी
इच्छाये पूरी नहीं होती
सभी
भीड़ का हिस्सा नहीं होते
सभी
रास्ते मंजिल नहीं होते
सभी
समय एक जैसे नहीं होते
सभी
रातें निद्रा नहीं देती
सभी
निर्णय सुकून नहीं देते
सभी
परीक्षाएँ सफल नहीं होती
सभी
बहसें सार्थक नहीं होती
सभी
परिस्थितियाँ अनुकूल नही होती
सभी
बोला गया ‘सच’ नहीं होता
सभी
विचार सुप्त नहीं होते
सभी
चिंताएं मुक्त नहीं होती
सभी
कवितायेँ पठनीय नहीं होती
फिर
भी ये होती है क्योकि इन्हे भी तो होना हैं
इसी सृष्टि में कही न कही........
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