कुछ लोग हमारे जीवन के लक्ष्यों शामिल नहीं होते लेकिन जैसे- जैसे हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते हैं उन रास्तों से गुजरते वक़्त वो भी उसका एक अहम हिस्सा बनने लगते हैं.। इस सूक्ष्म से दिखने वाले सत्य को हर दृष्टि नहीं देख और समझ पाती हैं.। ये बात प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से अनुभवजनित हैं । लक्ष्य हमारे द्वारा निर्धारित किये जाते हैं लेकिन उसके पूरा होते होते उसका हिस्सा कौन बन जाये ये समय और परिस्थितियाँ निर्धारित करती हैं।
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