लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

कुछ लोग हमारे जीवन के लक्ष्यों शामिल नहीं होते लेकिन जैसे- जैसे हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते हैं उन रास्तों से गुजरते वक़्त वो भी उसका एक अहम हिस्सा बनने लगते हैं.। इस सूक्ष्म से दिखने वाले सत्य को हर दृष्टि नहीं देख और समझ पाती हैं.। ये बात प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से अनुभवजनित हैं । लक्ष्य हमारे द्वारा निर्धारित किये जाते हैं लेकिन उसके पूरा होते होते उसका हिस्सा कौन बन जाये ये समय और परिस्थितियाँ निर्धारित करती हैं। 

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