लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

एक वर्ष और ..
वक़्त बदलता रहा हर रोज
तारीखें
और जीवन का एक और
पन्ना पलट गया 
पलटते गए पन्नें प्रपत्र के
हर रोज तारीखें काटते
एक और विवशता में ..
जिंदगी कट गयी ....
शुरू हुआ नया अध्याय
लेकिन,
नहीं बदलेंगी कुछ चीज़े
जबकि बदलेगा वर्ष ...
राशन का गेहूँ, कंकड़ वाली दाले
बनिए की उधारी, बेटी का दहेज़
बच्चों की फ़ीस, माँ की दवाई
चिमनी का घासलेट,चूल्हे की लकड़ी
मकान का किराया,पत्नी की शिकायतें
और इन सब को जुटाने में
टूटते आदमी का संघर्ष।
बदलेगा वर्ष, लेकिन,
बदल नहीं पायेगी कुछ चीजे
दूध में पानी,कुम्हार के घड़े
स्वयं को प्रमाणित करता सत्य
आम आदमी के सपने
अतित के संस्मरण,गलतियों के सबक
नहीं बदलेगी स्त्री की महत्वाकांक्षा,
और उसका समर्पण ,
बाल मन की चंचलता,
किशोर मन की विचलितता
नहीं बदलेंगे इंसानो में बसते प्रेम गीत,
मृग तृष्णा, ख्वाहिशे और कोशिशों
की जद्दो जहद ...
और विचारों का सैलाब।
फिर भी बदलेगा
समय
नयी तारीखों के साथ
नया वर्ष,
आदमी वही, पर
नए क्षितिज की तलाश में ..
नयी दिशा में, नये रास्तों पर
लेकिन,
उसी मुकाम पर
ठहरेगा
एक और वर्ष
जैसे --
पुराने शब्द पर
नए अर्थ की कलम ..
शुभाशीष
. शुभाशीष के सभी सदस्यों को सहृदय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

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