लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

भावना के सारे रिश्तों में आर्थिक स्वतंत्रता की निर्णायक भूमिका रही हैं। महिलाओं की सामाजिक स्वतंत्रता उनकी आर्थिक स्वतंत्रता पर आधारित हैं और यह एक निर्णायक स्तम्भ हैं जिसे परोक्ष रूप से स्वीकारा जाता हैं प्रत्यक्ष नहीं  स्वयं महिलाओं द्वारा भी । शोभा जैन

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