लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

आलेख - अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता
 शोभा जैन

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे ज्यादा दुरूपयोग में आने वाला शब्द है... हमको समझाया जाता है कि भारत एक लोकतंत्र है. हमारा लोकतांत्रिक संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है. लेकिन संविधान प्रदत्त यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सही स्थान, सही व्यक्ति, और सही समय का निर्धारण नहीं करती ये हमें ही निर्धारितं करना होता हैं इसका उपयोग इंसान को इंसानो से जोड़ने के लिए होना चाहिए टुकड़े करने के लिए नहीं कृपया अपने शब्दों का चयन बेहद सतर्कता से करे और उन्हें अभियक्त सही तरीके से ....

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