लगातार टालते रहने से अक्सर निर्णय बदल जाते है। अप्रत्याशित बदले हुए निर्णयों को स्वीकारना बेहद दुष्कर होता है।अपनी मानसिकता को दोनों परिस्थितियों के लिए तैयार रखे जो परिणाम आप देखना चाहते है और जो नहीं देखना चाहते है फिर किसी के भी जीवन में कुछ अप्रत्याशित घटित ही नहीं होगा । हम सबके भीतर एक भीड़ छिपी होती है जो हमें कुरेदती है,पथविमुख करने को उतावली रहतीहै,अक्सर लोग निर्णायक की भूमिका निभाना चाहते है किन्तु परिणामों के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं---शोभाजैन Protected by Copyscape

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

                                                           अपनी बात
                                                             शोभा जैन
मनः स्थिति का हमारे जीवन में बहुत अहम स्थान होता है |कभी कभी हमारी मनः स्थिती हमें बेहद गंभीर होने जैसा आभास देती है जिसके तहत हम कभी कभी दूसरों की समस्याओं को समझने की कोशिश करते है या फिर संभव प्रयास करने का विचार करते है |कभी कभी हम पारिवारिक मतभेदों को भूलकर सबके प्रति प्रेम भाव महसूस करते है |या फिर कभी कभी सबसे दूर रहना या सबकुछ व्यर्थ सा प्रतीत होता है |दोनों ही स्थितियाँ मनः स्थिति पर निर्भर करती है |किन्तु ऐसे समय में कुछ बातों का लाभ अवश्य लेना चाहिए शायद उससे आपके भीतर की नकारात्मकता निराशा में कमी आ जाय |दरअसल ये मनः स्थिति कभी कभी किसी अच्छे माहोल की वजह से या फिर किसी की अच्छी बात से प्रेरित होकर या फिर किसी दूसरे को अच्छा करते देखकर हमारे भीतर जन्मती है ठीक इसके विपरीत मनः स्थिति का नकारात्मक होना भी माहोल,संगत और द्र्श्यगत अवस्था पर निर्भर करता है |किन्तु जब भी किसी के लिए कुछ अच्छा करने की मनः स्थिति बने या फिर कुछ भी रचनात्मक करने का मन करें तो फिर चाहे वो किसी ऐसे व्यक्ति से बात करने का हो जिससे कभी आपके व्यवहार खाराब हो गए हो या फिर खटास उत्पन्न हो गई है तो आपका वो अच्छा मुड आपके भीतर की सकारात्मकता में इजाफा कर आपको एक कदम और आगे बढ़ाएगा किसी अच्छे काम के लिए  |और सामने वाले के प्रति उदार व्यक्तित्व का भी उदाहरण प्रस्तुत करेगा |या फिर ऐसे समय में किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करें जिसे आप अक्सर परेशानियों से घिरा देखते है किन्तु हर रोज उसे नजरअंदाज कर देते है अपनी स्वयं की समस्याओं के चलते |कभी -कभी आपका मुड आपेसे  वो करवा देता है जो आसामान्य आसाधारण होता है किन्तु लाभदायक |किन्तु जब आपकी मनः स्थित सबसे दूर रहने की महसूस हो रही हो या फिर सब कुछ व्यर्थ प्रतीत हो रहा है तो उस समय केवल एक ही कार्य करना उचित होगा की स्वयं पर संयम रख इस बात को बार -बार अपने भीतर धारण करें की आज आपकी मनः स्थिति ख़राब है नकारात्मक है आपसे कुछ भी गलत करवा सकती है इसलिए मुझे शांत रहना है कहने का तात्पर्य आपको कारण पता है की आपकी मनः स्थिति अभी सही नहीं है ऐसे में किसी भी प्रकार का संवाद या व्यवहार न करते हुए इसके बदलने के लिए प्रयास करने शुरू कर दें कुछ अच्छा पढ़े या फिर किसी ऐसे इंसान के साथ समय बिताएं जो आपकी मनः स्थिति की नकारात्मकता का प्रकोप भी शालीनता और शांति से वहन कर सके माता और पत्नी इसका अच्छा विकल्प हो सकते है इसके अतिरिक्त कोई करीबी मित्र जो आपकी कमियों से भी पूरी तरह वाकिफ हो जो आपको  चुपचाप सुन सके  |कभी कभी गुबार निकाल देने से भी इंसान हल्कापन महसूस करता है लेकिन निकले किस पर यही दुविधा है सबकी क्योकि अक्सर  ये विवाद या झगड़े का रूप ग्रहण कर लेता है इसलिए ऐसे इंसान का चुनाव बहुत सोच समझ कर करें |बहुत कम लोगो को ऐसे साथी नसीब होते है जो उनके प्रकोप का शिकार होने के लिए भी स्वयं को झोंक दे अब तो पत्नियाँ भी स्थिति का सामना करने में असफल साबित होने लगी है क्योकि वे खुद अपनी ही परेशानियों से बाहर नहीं आ पाती |पति महाशय को क्या सुनेगी और समझेगी |ज्ञान का विस्तार और स्वतंत्र  नारी की  आत्म निर्भरता के चलते अब पुरुष यह अपेक्षा शायद एक स्त्री से नहीं रख पा रहा है क्योकि स्त्री ने तो अब अपनी अलग सलग दुनियाँ बसानी शुरू कर दी है 'आज की शिक्षित नारी के नाम पर' | अब घर में ओरत मिलती ही नहीं है आज की नारी पुरुष से कंधे से कन्धा मिलाने वाली है |गलती से जो दिन भर घर में रहती है उनकी अपनी परेशानियों और शिकायतों की लिस्ट कभी कम ही नहीं होती शाम को घर आते आते वो खुद ही इतनी थक जाती है की पुरुष अपनी थकान में उसकी थकान महसूस करने लगता है उसकी मनः स्थिति को देखकर मुड को भापकर और फिर यही मनः स्थिति जब लम्बे समय तक चलती है तो आदमी बाहर तलाशता है अपने गुबार को बहार लाने के तरीके |स्त्री और पुरुष दोनों की ही अपनी अपनी मनः स्थिति समय समय पर बदलती है किन्तु इसका प्रबंधन दोनों ही अलग -अलग तरीके से करते है एक दूसरे के साथ नहीं कुछ बाहर जाकर |कुछ गलत तरीकों से गलत सोच को क्रियान्वित कर देते है |जबकि मनः स्थिति क्षणिक है स्थाई नहीं अच्छी और बुरी दोनों ही, किन्तु उसके प्रतिफल लम्बे समय तक चलने वाले होते है ये कभी न भूलें |












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